गुजरात रोल मॉडल राज्य की दाहोद स्मार्ट सिटी ऐसे तो नाम मात्र पन्नों पर कहीं सालों से स्मार्ट सिटी बन चुकी है लेकिन यहां के यदि हम रोड और रास्ते की बात करें तो उनकी हालत इतनी खराब है कि वाहन चलाना मुश्किल पड़ जाता है।
जहां एक तरफ हम नगर पालिका की बात करें तो नगर पालिका के माध्यम से यहां पर कई बार स्वच्छता का अभियान चलाया जा चुका है लेकिन स्वच्छता के नाम पर लाखों रुपए जो खर्च होते हैं क्या सच में दाहोद स्मार्ट सिटी की सड़के नालिया स्वच्छ दिखाई दे रही है।
स्मार्ट सिटी के तहत इन सड़कों को अभी कुछ दिनों पहले ही बनाया गया था और वह भी हम आपको बता दें कि जब बारिश की बूंदे शुरू हुई थी ऐसे में यह सड़के बना शुरू हुई थी और चालू बारिश में इन सड़कों का काम किया गया था तो भला चालू बारिश में जब सड़के बनाई जाएगी तो क्या सड़के टिकाऊ रह पाएगी?
दाहोद स्मार्ट शहर के अंदर इतना स्मार्ट काम चल रहा है कि जहां एक तरफ सड़के बना चालू होती है और बनते बनते कुछ दूरियों पर जाती है फिर कुछ ही दिनों के अंदर बनी हुई सड़क को खो दिया जाता है और वहां से नालियों को निकालने की कोशिश की जाती है तो बनी हुई सड़कों को बार-बार खुदा जाता है उनकी ठीक से मरम्मत भी नहीं की जाती है तो क्या दाहोद नगर पालिका को पहले यह विचार नहीं करना चाहिए कि एक बार पूरे दाहोद स्मार्ट शहर का सर्वे किया जाए एवं साथ ही साथ यह भी देखा जाए की बारिश के अंदर पानी का निकास कहां से कहां तक होगा उसके बाद इन सड़कों का काम शुरू किया जाए।
यह जो सड़के,रास्ते और नालियो को बनाने में जो पैसे खर्च किए जाते हैं यह पैसे किसके हैं?
यह सब पैसे जनता के टैक्स के ही पैसे हैं और फिर जनता को कोई सुविधा भी नहीं मिलती।
यह तो अभी आप लोगों ने दो ही गड्डे देखा है लेकिन जब आप पूरे दाहोद का सर्वे खुद पैदल चलकर करेंगे तो शायद आपकी चप्पल भी घिस जाएगी और आपको हकीकत पता चल ही जाएगी।
जब ठीक से कोई काम नहीं होता तो विपक्ष दल खड़ा होकर आंदोलन करता है उसके बाद शायद कहीं ना कहीं अधिकारियों को लगता है कि अब तो काम करना ही पड़ेगा अब आंदोलन चालू हो गया है तो वह बाद में काम रातों-रात जैसे तैसे कर देते हैं।